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शिक्षित आखिर कौन हैं

"आप सभी को जय सेवा प्रकृति सेवा"                      मैं कुछ कहना चाहता हूं पर कह नहीं पा रहा हूं कुछ विचार देना चाहता हूं पर विचार दे नहीं पा रहा हूं WhatsApp Facebook ऐसे बहुत से साइट हैं जि...

धर्मस्थलों पर राजनीति क्यों

आप सभी को सादर सेवा जोहार जय सेवा प्रकृति सेवा                 मैं राकेश सांडिल आज जब मैं आराम कर रहा था तब मैं अपने अनुभव को टटोल रहा था और टटोलते टटोलते एक ऐसा विचार आया जिसमें तर्क संबंध बात हैं बात को डिटेल करने से पूर्व यह विचार मेरे मन में कैसे आया आजकल सभी कोई WhatsApp Facebook सोशल मीडिया ना जाने किन किन वजह से आज हम इन सोशल मीडिया या टेक्नोलॉजी के माध्यम से आज हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और लोग दनादन अपने विचारों को रख रहे हैं जिसका साहित्य जितना उजागर होगा उसका साहित्य उतना ही विकसित होगा और वह समाज व देश उतना ही तरक्की करेगा दिस माय कांसेप्ट आज जब समाज जागृत की उस महत्वपूर्ण कदम में या कहे तो उस रास्ते को साफ कर रहा है या उस रास्ते को बनाने का प्रयास कर रहा है जिसमें न जाने कितनों की नजर और कितने सारे कांटे लगे हुए हैं फूंक फूंक कर कदम रखने की नौबत आ गई है और इसी कड़ी में हमारे से निकला हुआ छोटा सा इकाई अपने साहित्य के बल पर अपना शिकार भी करते आ रहे हैं और वह शिकार राजनीति के गलियारों में गूंज...