शिक्षित आखिर कौन हैं

"आप सभी को जय सेवा प्रकृति सेवा"

                     मैं कुछ कहना चाहता हूं पर कह नहीं पा रहा हूं कुछ विचार देना चाहता हूं पर विचार दे नहीं पा रहा हूं WhatsApp Facebook ऐसे बहुत से साइट हैं जिनसे हम जुड़े होते हैं और आजकल का फैशन ही हो गया है WhatsApp ,WhatsApp में ना जाने कितने सारे ग्रुप से जुड़े होते हैं पर कितना सच्चाई है कितना झूठ है आज लोग विचलित हैं कि सही
इसको को परखने के लिए हमें बहुत  ही इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है जो शायद हम नहीं कर पाते या सामाजिक की  वजह से या / किसी प्रभावशील व्यक्ति के वजह से हमारी विचारधाराएं दब जाती है
और वह सब इच्छाशक्ति जो मनुष्य के या व्यक्ति के दिमाग में रहती है वह मर जाती है क्या यही शिक्षा है भारत की  जिसे अपना विचार रखने की आजादी ना  हो  फिर शिक्षा पद्धति की किस काम की
                  मैं बात को घुमा फिरा कर रहा हूं इसलिए शायद आपको समझ नहीं आ रही है आज भारत में बहुत समस्याएं हैं और सभी समस्याओं का जड़ अशिक्षा हैं
इसका हल ही "शिक्षा" है
                    पर क्या शिक्षा से हमारा समाज हमारा देश शिक्षित हो पाया है अगर हम अपने मन को टटोल कर के अपने दिमाग को इधर-उधर अग्रेषित करोगे सोचोगे विचार करोगे तो आपको आंसर मिलेगा नहीं लेकिन भारत में जातिवाद ब्राह्मणवाद जो कि अंधविश्वास के प्लेटफार्म पर चलती है
अभी तक आपने जो बात सुना/पढा होगा मैं जानता हूं आप हंड्रेड परसेंट नहीं मानोगे क्योंकि आप उन से प्रेरित है उनसे जुड़े हुए हैं ऐ  तो वही बात हुआ ना कि चश्मा लगाते हुए भी लोग देख नहीं पाते सच्चाई को?
पहले तो इन्होंने हमें हजारों साल से शिक्षा से वंचित रखा और इसी शिक्षा की वजह आज मूलवासी लोक वाकई में सोचनीय है इन्होंने मनुवाद भी कांसेप्ट को लाया और हमें जाति व्यवस्था में रखा 85 %को पैरों तले शूद्र बनाकर अपनी सेवा के लिए रखा शूद्र का अर्थ ही है सेवा करना यह हम नहीं कहते हैं इतिहास करती है और मैंने b.a. फर्स्ट ईयर में भी पढ़ा था हिंदू धर्म के बारे में मैं यह बात इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि इन्हीं की वजह से हम एक होकर आवाज नहीं उठा पाए जिन्होंने हमें हमें कनफ्लिक्ट और कंपटीशन में उलझा कर रखा और हम एक कभी नहीं हो पाए हमें इन्होंने भागवत गीता रामायण में उलझा कर रखा जबकी विद्या तो रियल बुक में ही थी सविधान की जगह इन्होंने भागवत गीता रामायण गली चौराहा कहीं का नहीं छोड़ा
और हमारे लोग जो भारत के मूलवासी मूल निवासी है बड़े शौक से बड़ी इच्छा है भागवत गीता रामायण करवाते हैं उन्हें पता ही नहीं है अपने इतिहास की अपने घर को छोड़ दूसरे करोगी देवी देवताओं की पूजा करते हैं खैर इन बातों का क्या है
जिसका सहित उसका विकास
अगर वह जमाने में ज्योतिबा बाई फुले शाहू जी महाराज भीमराव अंबेडकर इन महान विभूतियों ने अगर समाज को शिक्षा के लिए काम नहीं किया होता तो आज समाज लो आज शेर की तरह आने की कोशिश कर रही है वह शायद चूहे के जैसा भी नहीं रहता मैं उन महान विभूतियों को बहुत-बहुत सेवा जोहार करता हूं जो समाज को सही दिशा पर लाकर खड़ा किया है बाकी तो काम करना हमारी जवाबदारी है

मैं केवल शिक्षा का ही बात कर रहा हूं लेकिन इन्होंने शिक्षा को बिजनेस बनाकर रखा है प्राइवेट एंड गवर्नमेंट नाम भी खूब जचता है
जब विद्यार्थी 12वीं पास हो जाता है तो उसे गवर्नमेंट college medical Sab government chahiye

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