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मैं दीवाली क्यों बनाओ। ?

मैं दिवाली क्यों मनाऊं  क्योंकि मैं एक प्रकृति वासी हूं  जिस में मैं रहता हूं  मेरी प्रकृति वासी पशु पक्षी वनस्पति इस पृथ्वी पर निवास करते हैं इस पृथ्वी पर रहते हैं फिर मैं कैसे उन्हें नुकसान पहुंचा हूं मैं क्यों पर्यावरण प्रदूषण करूं  जिनसे इनका नुकसान होता है मैं दीपावली क्यों मनाई Deepavali for deep Jala kar Banaya Ja sakta hai  ghar Roshan Ho aapke ghar mein Khushiyan  Hindu Ki Kasam ka Nivas Hota Hai Bhagwan Ram ka hota hai Hoga Paryavaran Pradushan ki भारत में #अच्छाई और #बुराई की #जीत की  वजह से यहां के #आदिवासी #भगवान #महिषासुर #रावण राजा को लोग अच्छाई की वजह से #जला देते हैं ताकि #अच्छाई की जीत हो और #बुराई की #हार हो यहां तक तो हमें समझ में आ जाता है  चलो पर मुझे यह नहीं समझ में आता है कि जीत #अच्छाई की कहां हुई लोग कहां #अच्छाई देखते हैं ?इस #भीड़ तंत्र ने हम लोगों को #गुमराह करके रखा है               भारत में दो तरह के लोग रहते हैं एक #रावण को अपना #पूर्वज #भगवान मानने वाले और #दूस...

शिक्षित आखिर कौन हैं

"आप सभी को जय सेवा प्रकृति सेवा"                      मैं कुछ कहना चाहता हूं पर कह नहीं पा रहा हूं कुछ विचार देना चाहता हूं पर विचार दे नहीं पा रहा हूं WhatsApp Facebook ऐसे बहुत से साइट हैं जि...

धर्मस्थलों पर राजनीति क्यों

आप सभी को सादर सेवा जोहार जय सेवा प्रकृति सेवा                 मैं राकेश सांडिल आज जब मैं आराम कर रहा था तब मैं अपने अनुभव को टटोल रहा था और टटोलते टटोलते एक ऐसा विचार आया जिसमें तर्क संबंध बात हैं बात को डिटेल करने से पूर्व यह विचार मेरे मन में कैसे आया आजकल सभी कोई WhatsApp Facebook सोशल मीडिया ना जाने किन किन वजह से आज हम इन सोशल मीडिया या टेक्नोलॉजी के माध्यम से आज हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और लोग दनादन अपने विचारों को रख रहे हैं जिसका साहित्य जितना उजागर होगा उसका साहित्य उतना ही विकसित होगा और वह समाज व देश उतना ही तरक्की करेगा दिस माय कांसेप्ट आज जब समाज जागृत की उस महत्वपूर्ण कदम में या कहे तो उस रास्ते को साफ कर रहा है या उस रास्ते को बनाने का प्रयास कर रहा है जिसमें न जाने कितनों की नजर और कितने सारे कांटे लगे हुए हैं फूंक फूंक कर कदम रखने की नौबत आ गई है और इसी कड़ी में हमारे से निकला हुआ छोटा सा इकाई अपने साहित्य के बल पर अपना शिकार भी करते आ रहे हैं और वह शिकार राजनीति के गलियारों में गूंज...